21वीं सदी के नए भारत के लिए जनसंख्या असंतुलन सबसे बड़ी समस्या-डॉ निशांत खरे
शाजापुर। स्वामी विवेकानंद स्मृति सेवा न्यास द्वारा दो दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया जिसके प्रथम दिवस वर्तमान परिवेश में जनसंख्या असन्तुलन विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में इंदौर के डॉ निशांत खरे ने व्याख्यान दिया। उन्होने बताया कि 1951 से लेकर 1991 तक कोई जनगणना नही हुई और न ही तब की भारत सरकार द्वारा इसके लिए कोई प्रावधान लाया गया। उन्होने कहा कि 1998 में एनडीए की सरकार आने के बाद जातिगत जनसंख्या पर भारत सरकार द्वारा प्रावधान लाए गए और जनसंख्या के लिए कार्यक्रम बनाए गए। उन्होने बताया कि देश के सीमावर्ती 45 जिलों में सबसे ज्यादा एक षडय़ंत्र के रूप में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है। साथ ही धर्मांतरण के माध्यम से भी जनसंख्या असंतुलन एक बहुत बड़ा कारण बना हुआ है। उन्होने अपने वक्तव्य में कहा कि वास्तव में नए भारत के निर्माण में या 21वीं सदी के विकसित भारत के निर्माण में कहीं न कहीं जनसंख्या असंतुलन ही रुकावट का कारण बनी हुई है, क्योंकि अर्थशास्त्र का नियम है जमीन नही बढ़ती जनसंख्या बढ़ती है। उन्होने कहा कि भूखमरी, बेरोजगारी, आर्थिक तंगी जैसे वैश्विक और राष्ट्रीय समस्या से हमारे देश को बचाना है और भारत को समृद्ध भारत बनाना है तो जनसंख्या से सम्बंधित कानून इस देश में अवश्य लागू होना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी विवेकानंद स्मृति सेवा न्यास के अध्यक्ष वरिष्ठ अभिभाषक नारायणप्रसाद पाण्डे ने की। इस दौरान मंच पर आयोजन समिति अध्यक्ष मानसिंह गोठी भी मौजूद थे। अतिथि परिचय जीवन परिहार, महेंद्र परमार ने कराया। वहीं अतिथियों को स्मृति चिन्ह संस्था के सचिव विजय बिड़वाले, विशाल जाटव, मुकेश सक्सेना ने भेंट किए। संचालन सत्यनारायण पाटीदार ने किया तथा आभार ओमप्रकाश पाटीदार ने माना।