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राजनीति! चूल्हे पर खिचड़ी पकेगी या बिरयानी ?

राजनीति! चूल्हे पर खिचड़ी पकेगी या बिरयानी ?

दीपक अग्रवाल 9977070200

जाहिर सी बात है जब चूल्हा खुद का हो तो पकवान भी मनमाफिक पकते है। पिछले 10 सालो मे देश की सियासत की हांडी मे वही पका जो प्रधान जी ने चाहा । इस चूल्हे पर जो पका उससे कई को अजीर्ण हुआ, कुछ का हाजमा खराब हुआ, किसी की भरी प्लेट वापिस धरा ली गई तो कईयो को अपच का दस्त लगा, कहने का मतलब पचाने वाले कम ही थे। हमने देखा बीते दशक में किस तरह प्रधान जी ने पूरे भारत में मेट्रो सिटी से लेकर गांव- गांव तक भगवा लहरा दिया ,देश ही नही विदेशों में भी भारत की धाक जमा दी। चाहे नोटबंदी, जीएसटी,कश्मीर समस्या, धारा 370, राम मंदिर, एयर स्ट्राइक,निर्वाचित सांसदो की सदस्यता भंग,प्रदेश के मुख्यमंत्री बदलने का जो भी फैसला लिया बेझिझक अंजाम की परवाह किए बिना एकतरफा लिया यानी पिछले 10 सालो में हमने 56 इंच का सीना सूत भर भी सिकुड़ते नही देखा ?

इस लोकसभा चुनाव में जो अप्रत्याशित परिणाम देश में आए उसने सबसे पहले सारे एग्जिट पोलो को धाराशाही किया उसके बाद भाजपा को। जिन्होंने भाजपा और मोदीजी के कसीदे पढ़े परिणामों ने उनकी बोलती बंद कर दी। भाजपा का “अबकी बार 400 पार” के नारे की हवा निकल गई , कार्यकर्ता और पदाधिकारियों से पूछने पर बात हवा कर देते है, मुंह मोड़ लेते है, कुछ बताने मे असहाय और बेबस महसूस करते है, कारण मतदाताओं ने आईना चकनाचूर कर दिया?

वैसे तो राजनीति के कई रंग होते है पिछले 10 सालो में देशवासियों ने ज्यादातर एक ही रंग देखा हर ओर भगवा ही भगवा। लेकिन यह चुनाव भाजपा के लिए जो नतीजे लेकर आया उसकी भाजपा ने कल्पना भी नहीं की होगी ? इस बार भी भाजपा सत्ता तक तो पहुंच गई है लेकिन बेसाखियो के सहारे। कब बैसाखी टूट जाए, छीन जाए अनिश्चित है? आने वाले सालो में सत्ता और सरकार के एपिसोड तुष्टिकरण, जिहुजुरी, अनुमति, संतुष्टि,सामंजस्य,भय,पर आधारित हो सकते है। इस बार विपक्ष मजबूत स्थिति मे विरोध का बिगुल बजाएगा?

पिछले 10 सालो में देश में किसी विभाग, एजेंसी ने जी तोड़ काम किया है तो वो “एकमात्र ED” है l इसके पहले कभी ED के ना तो हमने अधिकार देखे ना शक्तियां ? कहने का मतलब ED ने सरकार की सभी मंशाओं- आकांक्षाओ को पूरा किया । नई बैसाखी सरकार में ED राहत की सांस लेगी या इसी तरह दौड़ – धूप करते मीडिया को सुर्खियां देगी ये तो समय बताएगा ?

देश की जनता- नेताओ ने राजनीति में जो एकतरफा फैसले देखे , 56 इंच का सीना जो सूत भर भी नही सिकुड़ा उसका मीटर (नपती) अब नीतीश और नायडू के हाथो मे है, अब सीना कितना फूलेगा – सिकुड़ेगा तय, वही करेंगे? कहने का मतलब देश की राजनीतिक हांडी में अब खिचड़ी पकेगी या बिरयानी ऑर्डर नीतीश और नायडू देंगे। फरमान चाहे प्रधान जी दे, मीनू तय करने का हक नीतीश और नायडू को ही होगा? क्योंकि पिछली सरकार मे सिलिंडर, लाईटर , टंकी, कंपनी सब खुद की थी अब छाप बदल गई है ?

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दीपक अग्रवाल
दीपक अग्रवालhttps://malwanchalpost.com
प्रधान संपादक मालवांचल पोस्ट
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