बाल वैज्ञानिकों की इंस्पायर मेंटरशिप वर्कशॉप में ईटर्नल स्कूल की ब्राह्मी ने भाग लिया
भारत सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग , राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान एवं मप्र स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयास द्वारा बच्चों में इनोवेशन को प्रोत्साहित और वैज्ञानिक सोच को जागृत करने के उद्देश्य से जनवरी माह में भोपाल में राज्यस्तरीय इंस्पायर अवार्ड मानक का आयोजन किया गया था जिसमे मध्यप्रदेश के सभी जिलो से श्रेष्ठ 13 बाल वैज्ञानिको के इन्नोवेटिव आइडिया का चयन दिल्ली में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय इन्स्पायर अवार्ड मानक प्रतियोगिता के लिए किया गया था इन चयनित सभी बाल वैज्ञानिक के द्वारा अपने इनोवेटिव आईडिया के द्वारा सितंबर में दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया जायेगा। इन बाल वैज्ञानिको में से एक शाजापुर जिले के ईटरनल स्कूल ऑफ स्टडीज की छात्रा ब्राह्मी जैन पिता त्रिशलानंदन जैन का चयन राष्ट्रीय स्तर के लिए किया गया था। जिसमे ब्राह्मी जैन ने इनोवेशन वर्कशॉप के शिक्षक शैलेंद्र कसेरा के तकनीकी मार्गदर्शन में बस या ट्रक ड्राइवरो और मैकेनिक को वाहनों के रिपेयरिंग के दौरान आने वाली समस्या दूर करने वाले सीट का डिज़ाइन तैयार किया था। जिसकी सहायता से वे सुरक्षित और आसानी से किसी भी मौसम में वाहनों की मरम्मत कर सकते है।
इस प्रकार सभी चयनित 13 बाल वैज्ञानिको के इनोवेटिव आईडिया को और अधिक उन्नत और प्रभावी बनाने के लिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान अहमदाबाद और मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल के संयुक्त प्रयास द्वारा दो दिवसीय इंस्पायर अवार्ड मानक मेंटरशिप वर्कशॉप का आयोजन रोल्टा इनक्यूबेशन सेंटर भोपाल में किया गया। जिसमे वर्कशॉप के पहले दिन में रोल्टा इनक्यूबेशन सेंटर के चेयरमैन अखिलेश भरवे और एनआईएफ के विशेषज्ञ विरल चौधरी के द्वारा इनोवेशन के सभी पैरामीटर्स जैसे आईडिया थिंकिंग और इनोवेशन एंटरप्रेन्योरशिप आदि के बारे में समझाया गया। दूसरे दिन की वर्कशॉप में मैकेनिकल ब्रांच दीपक कुमार और विनोद यादव के साथ मैनिट की विभिन्न वर्कशॉप में बाल वैज्ञानिकों और उनके गाइड टीचर से उनके द्वारा बनाये गये इनोवेटिव आईडिया पर चर्चा की गई जिसके साथ ही तकनीकी समस्याओं को सुलझाने के सलाह भी दी गई और एमपी स्टार्ट अप के अनुभव दुबे द्वारा राज्य सरकार की स्टार्ट अप योजनाओं को जानकारी साझा की गई। अंत में मैनिट के डायरेक्टर डॉ करुणेश कुमार शुक्ला द्वारा सभी बाल वैज्ञानिकों को स्मृति चिन्ह भी प्रदान किए गए।