भारत देश को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष हो चुके हैंl *”स्वतंत्र भारत”* ! जिसके स्वतंत्र सुनने मात्र से ही हमारा मन खिल उठता है, सपनों की ऊंची उड़ान भरने लगता है लेकिन हमे सोचना होगा भारत देश को अंग्रेजो की गुलामी से स्वतंत्र कराने के लिए कई वीर सपूतों ने अपना बलिदान देकर यह स्वतंत्रता हमें सौंपी हैl तब जाकर हम खुलकर मुस्कुरा सकते हैं,स्वतंत्रता की खुली हवा में सांस ले सकते हैं और असली स्वतंत्रता और उसकी महक को महसूस कर सकते हैंl देश को अंग्रेजों की गुलामी की जंजीर से स्वतंत्र कराने के लिए कई माताओं ने अपने लालों को खोया है,कई बहिनों ने अपने भाइयों को, कईयों ने अपने सुहागो को देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करते देखा हैl तब जाकर हम अंग्रेजो की गुलामी से स्वतंत्र हुए है l
वैसे भी जिस स्वतंत्र भारत की कल्पना कर हमारे वीर सपूतों ने शहादत दी थी, उस तस्वीर को हम ऊकेर नहीं पाएl देश के वीर सपूतों ने ऐसे भारत का स्वप्न देखा था,जिसमें कोई बड़ा-छोटा ना हो, जाति व धर्म का भेदभाव ना हो, ऊंच – नीच का भेद ना हो, एक दूसरे के प्रति कोई ईर्ष्या या भेदभाव ना हो, महिलाओं का सम्मान हो, सभी भारतीय आपस में मिलजुल कर प्रेम से रहें, लेकिन आज के भारतीय परिदृश्य से आप और हम बखूबी परिचित है l जिसमे मानवीय संवेदनाएं गुम हो गई है, समाज उत्थान की बातों को दीमक लग गई है, कदम – कदम पर धोखे, छल – कपट से भरे मनुष्य, महिलाओं के साथ ज्यादती, हर तरफ लूट – खसोट, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर गर्व महसूस करना यह हमारे द्वारा निर्मित भारत है l
आज के राजनेताओं पर गौर करें तो वह सत्ता पाने के लिए झूठे ढोंग-ढकोसले,झूठे चुनावी वादे, विकास के आश्वासनों के पुल बांधने के सिवा कुछ नहीं करते? चुनाव नजदीक आते ही नेता जनता के पैरों में और कुर्सी मिलते ही जनता उनके पैरों में l नेताओ को जनता के मुद्दो, चुनावी वादों, समाज उत्थान के कार्यों से कोई सरोकार नहीं रहताl वे सिर्फ अपना और अपने शागिर्दो का पेट पालन करते हैं l
वैसे तो भारत एक लोकतांत्रिक देश है,जहां आम नागरिक को अपनी बात रखने का अधिकार प्राप्त है लेकिन आज के भारत में आवाज उठाने पर इंसाफ कठिनाई से मिलता हैl धरने, प्रदर्शन, और मांग रखने पर लाठियां बरसाई जाती है,युवाओं को रोजगार के नाम पर आश्वासनों के पहाड़ चढ़ाए जाते हैंl
अब बात करते हैं आम नागरिक की स्वतंत्रता की l उसकी स्वतंत्रता किसी बेटी को दहेज के लिए मांग पूरी न करने पर मारना-जलाना, सरे राह छेड़खानी करना, सड़कों पर गंदगी फैलाना, जहां मन करे थूक देना,शासकीय संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना, महिलाओं व बेटियों पर अत्याचार करना जैसे अप्राकृतिक कृत्यों को कर हम स्वतंत्रता महसूस करते है l बजाय इसके जब हम महिलाओं को समाज में उचित स्थान,सम्मान,सुरक्षा देंगे, देश की शासकीय संपत्ति को नुकसान होने से बचाये, देश को साफ-स्वच्छ रखने के लिए आगे आएंगे, जाति और धर्म के नाम पर आक्रोशित नहीं होंगे, एक दूसरे के प्रति प्रेम पूर्वक रहेंगे , भ्रष्टाचार मुक्त भारत गढ़ेंगे,तभी हम असल मायनो में स्वतंत्र कहलाएंगे l
दीपक अग्रवाल
प्रधान संपादक
मालवांचल पोस्ट
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