विदेश में हिंदी पढ़ाने का अनुभव
विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी भाषा को तीसरा स्थान दिया गया है। विदेश में किसी विदेशी भाषा को पढ़ाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और यह कार्य में पिछले 10 सालों से कर रही हूं। इंडोनेशिया में हिंदी बोल-चाल की भाषा ना होने के कारण बच्चों को सीखने में कठिनाई आती है। बच्चे लोकल भाषा तो अच्छे से बोल लेते हैं लेकिन हिंदी बोलने मे कठिनाई महसूस करते हैं। यहां कुछ ही भारतीय परिवारों में हिंदी बोली जाती है। विद्यालय अंतरराष्ट्रीय होने के कारण प्रथम भाषा अंग्रेजी ही बोली और सिखाई जाती है बच्चों को जब हिंदी पढ़ाने की बारी आती है तो केवल 4 प्रतिशत बच्चों को समझ आती है 96 प्रतिशत बच्चे को हम क्या बोल रहे हैं समझ में नहीं आता उन्हें हर बात को अंग्रेजी में समझाना पड़ता है। मतलब हिंदी को अंग्रेजी में पढ़ाना पड़ता है । इससे हिंदी का वास्तविक सौंदर्य खत्म हो जाता है लेकिन मैं पूरी कोशिश करती हूं कि भाषा का प्राकृतिक सौंदर्य बना रहे और बच्चे अच्छे से हिंदी भाषा को सीख और समझ सके। बच्चो को अंग्रेजी के माध्यम से हिंदी पढ़ाने व सिखाने का अनुभव काफी दिलचस्प और मजेदार लगता है।
श्रीमती अर्चना शर्मा (शिक्षिका) यूनिवर्सल इंटरनेशनल स्कूल
जकार्ता इंडोनेशिया